आइये जानते है मंच संचालन कैसे करे?

कार्यक्रम का संचालन ( मंच संचालन) करना भी एक कला है। एक कुशल संचालक अपने प्रभावशाली शब्दों से कार्यक्रय में जान डाल देता है। जो व्यक्ति कार्यक्रम का संचालन करता है उसे उ‌द्घोषक कहा जाता है। एक सफल उद्‌घोषक वही है जो श्रोताओं को बोर न होने दे। दो कार्यक्रमों के बीच के खाली समय में उ‌द्घोषक चुटकुले, प्रेरक प्रसंग आदि सुनाकर श्रोताओं का मनोरंजन करें और अपनी चुनौतीपूर्ण बातों से जनता को आकर्षित करे.

कार्यक्रम प्रस्तुत करते समय उद्घोषक को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-

(क) उ‌द्घोषक के पास प्रस्तुत किए जाने वाले पूरे कार्यक्रम की लिखित जानकारी निश्चित क्रम में होनी चाइये।

छ) उ‌द्घोषक की वेशभूषा शालीन होनी चाहिए।

(ग) उ‌द्घोषक को प्रत्येक कार्यक्रम का मूलभाय जात होना बाहिए। उसे कार्यक्रम प्रस्तुत करने से पूर्व उसको रूपरेखा दर्शकों के सम्मुख रखनी चाहिए, ताकि दर्शक कार्यक्रम में रुचि ले सके।

घ) उ‌द्घोषक को दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए कार्यक्रम के बीच-बीच में यदि मंच खाली हो चुटकुलों, काव्य-पक्तियों, सूक्तियों या प्रेरक प्रसंगों आदि को सुनाना चाहिए।

(ङ) उ‌द्घोषक को आवश्यकतानुसार ही बोलना चाहिए क्योंकि उसका मुख्य कार्य केवल दो कार्यक्रमों के बीच खाली समय की पूर्ति करना है।

(च) उ‌द्घोषक को साहित्य के रसों को जानकारी होनी चाहिए। उसकी आगाज और भाव-भागमा कार्यक्रम के अनुसार होनी चाहिए। जैसे-श्रृंगार के कार्यक्रम में मोठी-सुरीली आवाज, वीर रस के कार्यक्रम में जोशीली आवाज, शांत रस में शालीन आवाज और हास्य रस में मन को प्रसन्न करने वाली आवाज होनी चाहिए।

(ज) प्रत्येक कार्यक्रम की समाप्ति पर उ‌द्घोषक द्वारा बड़े शालीन शब्दों में कार्यक्रम को प्रशंसा करनी चाहिए।

उदाहरण के लिए विद्यालय के प्रांगण में हिंदी दिवस पर प्रस्तुत कार्यक्रम को प्रस्तुति इस प्रकार है- मंच संचालन

माननीय मुख्य अतिथि महोदय, अध्यक्ष महोदय, प्रधानाचार्यजी, शिक्षकगण एवं मेरे सभी साथियो। सुप्रभात। जैसा कि आप सब लोगों को विदित ही है कि हम सब लोग आज यहाँ पर हिंदी दिवस मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। इस अवसर पर मैं भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा रचित कविता की दो पंक्तियाँ प्रस्तुत करना चाहता हूँ।

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल.
बिन निजभाषा ज्ञान के मिटे न हिय को सूल।

मैं सर्वप्रथम विद्यालय के अध्यक्ष महोदय से प्रार्थना करता हूँ कि वे हमारे क्षेत्र के पार्षद महोदय का मुख्य अतिथि के रूप में विद्यालय में पधारने पर स्वागत करें।

धन्यवाद, अध्यक्ष महोदय। अब मैं करबद्ध होकर माननीय पार्षद महोदय श्रीमान भाटियाजी से अनुरोध करता हूँ कि वे दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ करें।

हमारे देश की परंपरा है कि कार्यक्रम की शुरुआत में ईश्वर की स्तुति की जाती है ताकि प्रत्येक कार्यक्रम निर्विघ्न संपन्न हो सके। अतः मैं उपस्थित दर्शकों से अनुरोध करता हूँ कि वे खड़े होकर ईश वंदना करें।

सभी अपना स्थान ग्रहण करेंगे। जैसा कि आपको विदित है कि 14 सितंबर, 1949 को हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया तभी से हम हर वर्ष हिंदी भाषा को सम्मान देने के लिए 14 सितंबर हिंदी दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं। अब आपके सामने हिंदी दिवस और हिंदी भाषा की महत्ता पर अपने विचार प्रस्तुत करने मंच पर नवीं कक्षा की छात्रा-नेहा आ रही हैं।

सभी दर्शकों से अनुरोध है कि वे ताली बजाकर छात्रा का मनोबल बढाएँ। (तालियों की गड़गड़ाहट) अब मैं अध्यक्ष महोदय से अनुरोध करूंगा कि वे मंच पर आकर मुख्य अतिथि माननीय भाटियाजों के विषय में अपने विचार प्रस्तुत करें तथा छात्रों को अपने आशीर्वचनों से कृतार्थ करें।

धन्यवाद अध्यक्ष महोदय।

कोई भी कार्यक्रम नृत्य के बिना अपूर्ण है। अब आपके समझ छठी और सातवीं कक्षा की छात्राएं भरतनाट्यम शैली में नृत्य प्रस्तुत करेंगी।

इस मनोहर नृत्य ने आपको आनंदित किया यह तो करतल ध्वनि से ही पता चल रहा है। अब आपके

सामने नवीं तथा दसवीं कक्षा के कुछ छात्र और छात्राएँ हिंदी की महिमा को दशति हुए एक सामूहिक गीत प्रस्तुत करने जा रहे हैं। आपने इन छात्र और छात्राओं द्वारा प्रस्तुत सुरीले समूह गान को सुना। हम आशा करते हैं कि चं बाल-कलाकर भविष्य में अच्छे गायक बन सकेंगे।

अब मैं मुख्य अतिथि महोदय श्रीमान भाटियाजी से निवेदन करता हूँ कि वे मंच पर आएँ और दो शब्द कहकर छात्रों को सन्मार्ग पर जाने के लिए प्रेरित करें।

आपके शब्द छात्रों के लिए हमेशा प्रेरणादायक रहेंगे। हम सब आपका धन्यवाद करते हैं कि आप अपने अमूल्य समय से समय निकालकर विद्यालय में आए और विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया। अब कार्यक्रम के अंत में मैं विद्यालय के प्रधानाचार्य महोदय से निवेदन करता हूँ कि मंच पर आकर मुख्य अतिथि के प्रति आभार प्रकट करें।

इसके साथ ही आज का कार्यक्रम समाप्त होता है। अब अंत में मैं आप सबसे अनुरोध करता हूँ कि सब खड़े होकर राष्ट्रगान में शामिल हों. मंच संचालन

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