भारत की आर्थिक समस्याओं के अंतर्गत सबसे प्रमुख समस्या महँगाई की है। आज वस्तुओं के मूल्य इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं कि आम व्यक्ति का जीना मुश्किल होता जा रहा है। आज महँगाई हर क्षेत्र में बढ़ती जा रही है। दैनिक उपयोग की वस्तुओं के साथ-साथ कपड़ा, जीवन रक्षक दवाइयाँ, परिवहन के साधन आदि भी महँगाई के सामने अछूते नहीं रहे। महंगाई पर निबंध
महँगाई बढ़ने के कारण
महँगाई बढ़ने के कई कारण हैं। इसका प्रमुख कारण है उत्पादन में कमी। देश की बढ़ती जनसंख्या के कारण आवश्यकता के अनुसार उत्पादन नहीं हो पाता। वस्तुओं की कमी के कारण वस्तुओं का मूल्य बढ़ जाता है। काला बाज़ारी के कारण भी महँगाई बढ़ती है। व्यापारी वर्ग अधिक लाभ कमाने के लिए वस्तुओं की जमाखोरी और कृत्रिम अभाव पैदा करके वस्तुओं के दाम बढ़ा देते हैं। मुद्रा के प्रसार और स्फीति के कारण भी वस्तुओं के मूल्य बढ़ते हैं। जब मुद्रा का प्रसार ज़रूरत से ज्यादा हो जाता है और अधिक मुद्रा बाजार में आ जाती है तब भी महँगाई बढ़ती है। सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार के कारण भी महँगाई में वृद्धि होती है।
दुष्परिणाम
बढ़ती हुई महँगाई का सबसे अधिक प्रभाव सामान्य जनता पर पड़ता है। उसकी क्रय शक्ति कम हो जाती है। दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो पाती। छोटे बच्चों को उचित आहार न मिलने के कारण वह कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। गरीब व्यक्तियों का जीवन स्तर और निम्न हो जाता है। महँगाई के कारण काला बाज़ारी, चोर बाजारों, तस्करी जैसी बुराइयाँ भी जन्म लेती हैं।
समाधान : महंगाई पर निबंध
निरंतर बढ़ती महँगाई पर रोक लगाना आवश्यक है। महँगाई को रोकने के लिए बढ़ती जनसंख्या पर रोक लगानी होगी। कल-कारखानों का उत्पादन बढ़ाना होगा। मूल्यों की वृद्धि रोकनी होगी। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत बनाकर भी काफ़ी हद तक महँगाई पर रोक लगाई जा सकती है। साथ-ही-साथ जनता को भी आवश्यकता से अधिक वस्तुओं को एकत्र नहीं करना चाहिए तथा सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करना चाहिए। मुनाफाखोरों और जमाखोरी करने वाले लोगों की सूचना सरकार को देनी चाहिए।