वाच्य क्या है? वाच्य के कितने भेद होते हैं?

वाच्य क्या है?? इसका (वाच्य) का अर्थ है बोलने का विषय वाक्य में प्रयुक्त क्रिया कभी कर्ता के अनुसार होती है तो कभी कम के अनुसार। कभी-कभी वाक्य में दोनों (कर्ता तथा कर्म) से अलग भाव की प्रमुखता होती है।

क्रिया के जिस रूप से इस बात का बोध हो कि यह वाक्य में कर्ता, कर्म अथवा भाव किसके अनुसार प्रयुक्त हुई है, कहलाता है।

वाच्य के तीन भेद होते हैं-

1. कर्तृवाच्य

2. कर्मवाच्य

3. भाववाच्य

कर्तृवाच्य

कर्तृवाच्य में क्रिया का सौधा संबंध कर्ता के साथ होता है। क्रिया का लिंग और वचन भी कर्ता के अनुसार होता है। उदाहरण-

(क) लड़के फुटबॉल खेल रहे हैं।

(ख) कबूतर दाना खा रहा है।

(ग) लड़कियाँ झूला झूल रही है।

(घ) माँ खाना बना रही है।

उपरोक्त वाक्य में लड़के, फयूटर, लड़कियाँ तथा मी कर्ता है। अतः क्रिया के लिंग तथा वचन भी कर्ता के अनुसार हैं। यदि कर्ता पुल्लिंग है तो क्रिया भी पुल्लिंग ही होगी, यदि कर्ता स्त्रीलिंग है तो क्रिया भी स्त्रीलिंग होगी। इसी प्रकार वचन भी कर्ता के अनुसार होगा।

कर्मवाच्य

जब क्रिया का सीधा संबंध कर्म से हो तो क्रिया कर्तृवाच्य में होगी अर्थात् क्रिया का लिंग तथा वचन कर्म के अनुसार ही होगा। उदाहरण-

(क) लड़कियों द्वारा झूला जाता है।

(ख) राकेश द्वारा कविता सुनाई जाती है।

(ग) बच्चों द्वारा गाने गाए जाते हैं।

(घ) अध्यापक द्वारा प्रशंसा की जाती है।

उपरोक्त वाक्यों में आपने देखा कि झूला, कविता, गाने तथा प्रशंसा क्रिया के कर्म हैं। अतः क्रिया का लिंग तथा वचन भी कर्म के अनुसार हैं। यदि कर्म पुल्लिंग है तो क्रिया का लिंग भी पुल्लिंग ही होगा। यदि कर्म एकवचन में है तो कर्म भी एकवचन में ही होगा।

भाववाच्य

जिस वाक्य में न तो कर्ता प्रधान हो और न ही कर्म, बल्कि क्रिया में भाव की प्रधानता हो, वहाँ भाववाच्य होता है।

उदाहरण-

(क) राकेश से नहीं जाता।

(ख) लड़की से नहीं

(ग) उससे दौड़ा नहीं जाता।

(घ) राकेश से उठा नहीं जाता।

उपरोक्त वाक्यों में क्रिया के भाव को प्रधानता है अर्थात् गाने का भाव नहीं माने का भाव, उठ नहीं पाने का भाव है। अतः ये भाववाच्य है। विशेष भाववाच्य के अंतर्गत क्रिया सदैव अन्य पुरुष, पुल्लिंग तथा एकवचन होती है तथा इस का प्रयोग प्रायः असमर्थता प्रकट करने के लिए होता है।

वाच्य परिवर्तन

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में बदलने के नियम

(क) कर्ता के कार्य से के द्वारा का प्रयोग होता है।

(ख) क्रिया की धातु में या/ता जोड़ा जाता है तथा लिंग तथा वचन कर्म के अनुसार प्रयोग किए जाते हैं।

(ग) कर्म के साथ कोई परसर्ग हो तो उसे हटा दिया जाता है।

कर्तृवाच्य कर्मवाच्य

  • रिया ने कहानी लिखी। रिया द्वारा कहानी लिखी गई।
  • मुदित ने साइकिल चलाई। मुदित द्वारा साइकिल चलाई गई।

कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाना

(क) कर्ता के साथ से/के द्वारा परसर्ग का प्रयोग किया जाता है।

(ख) क्रिया सदा पुल्लिंग, अन्य पुरुष तथा एकवचन में रहती है।

(ग) मुख्य क्रिया को सामान्य भूत में तथा एकवचन में बदलकर उसके साथ ‘जाना’ लगाया जाता है।

कर्तृवाच्य भाववाच्य

  • अक्षय पढ़ता है। अक्षय से पढ़ा जाता है।
  • संभव दौड़ता है। संभव से दौड़ा जाता है।

कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य बनाना

(क) कर्ता के साथ लगे ‘से’ या ‘के द्वारा’ को हटा दिया जाता है।

(ख) सामान्य भूतकाल की क्रिया को मुख्य क्रिया बनाया जाता है।

(ग) जा’ तथा ‘जाना’ क्रिया को हटा दिया जाता है।

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