वाद विवाद प्रतियोगिता क्या होती है?

वाद विवाद का अर्थ / वाद विवाद प्रतियोगिता का अर्थ क्या होता है?

किसी विषय के पक्ष और विपक्ष में अपने विचारों को व्यक्त करना वाद विवाद प्रतियोगिता कहलाता है।अंग्रेजी में इसे “DEBATE” कहा जाता है. वाद-विवाद मौखिक अभिव्यक्ति की महत्वपूर्ण विधा है। वाद-विवाद दो छात्रों की टीम बनाकर किया जा सकता है। पहला छात्र पक्ष में विचार प्रस्तुत करेगा जबकि दूसरा छात्र उसके तर्कों को काटते हुए विपक्ष में अपने विचार व्यक्त करेगा।

वाद-विवाद प्रस्तुत करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।
  • वाद-विवाद प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतियोगी को अपने विरोधी की बातें ध्यानपूर्वक सुननी चाहिए तथा मुख्य बिंदुओं को नोट कर लेना चाहिए, ताकि उचित अवसर पर उसका खंडन कर सके।
  • शिष्ट भाषा का प्रयोग करना चाहिए। किसी भी विषय पर व्यक्तिगत कटाक्ष नहीं करना चाहिए।
  • वक्ता को निर्धारित समय सीमा में ही अपनी बात समाप्त कर लेनी चाहिए।
  • वक्ता को बोलते समय अपनी दृष्टि एक स्थान पर केंद्रित न करके चारों ओर अपनी दृष्टि घुमानी चाहिए। उसे समय-समय पर अध्यक्ष, निर्णायक मंडल श्रोताओं को संबोधित करना चाहिए।
  • प्रायः पक्ष में विचार प्रस्तुत करने वाले वक्ता को शांत आवाज़ में अपने विचार व्यक्त करने चाहिए जबकि विपक्षी वक्ता को आक्रामक स्वर में उसके तर्क का खंडन करना चाहिए।
  • वाद-विवाद में अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए तर्कों और उदाहरणों का यथोचित प्रयोग करना चाहिए।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मोबाइल लाभदायक या हानिकारक

पक्ष के तर्क (वाद विवाद प्रतियोगिता)

आदरणीय अध्यक्ष महोदय, निर्णायक मंडल, श्रद्धेय गुरुजन एवं साथियों नमस्कार। आज मैं आपके समक्ष वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मोबाइल संस्कृति के पक्ष में अपने विचार प्रस्तुत करने जा रहा है।

वैज्ञानिक उन्नति के साथ-साथ संचार जगत में भी उन्नति हुई। संचार का सबसे तेज और सुलभ साधन है मोबाइल। जी हाँ! मोबाइल दिखने में तो छोटा है, पर है बड़े काम की वस्तु आज से कुछ समय पूर्व हम केवल घर बैठकर ही लोगों से फ़ोन के द्वारा बात कर पाते थे लेकिन आज मोबाइल द्वारा दुनिया के किसी भी कोने में से किसी से भी संपर्क स्थापित कर सकते हैं।

अध्यक्ष महोदय ! आज हर व्यक्ति के पास मोबाइल फ़ोन होता है। मैं दावे से कह सकता हूँ कि इस सभागार में बैठे 90 प्रतिशत लोगों के पास इस समय भी मोबाइल फ़ोन मौजूद है और हो भी क्यों न, वास्तव में मोबाइल फ़ोन हमारे बहुत से काम आसान कर देता है। मोबाइल पर ही हम व्यापारिक संबंध बना सकते हैं। यदि बीमार हैं और डॉक्टर के पास नहीं जा सकते तो कोई बात नहीं, मोबाइल के द्वारा डॉक्टर से बात कर सकते हैं, दवा के बारे में पूछ सकते हैं। डॉक्टर से मिलने का समय निर्धारित कर सकते हैं।

मोबाइल फोन All Rounder है.

मोबाइल फोन वास्तव में फोन ही नहीं ऑल-इन वन’ है। इसमें टेलीफोन डायरेक्ट्री, फोटो-कैमा संगीत -सुविधा, कैलक्युलेटर, एस०एम०एस-, अलार्म घड़ी और बहुत-सी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। यहाँ तक कि अब कंप्यूटर, ई-मेल, इंटरनेट जैसी सुविधाएँ भी अब मोबाइल में मिलने लगी है।

आज घर से बाहर निकलते ही मोबाइल का साथ होना अनिवार्य है। परामर्श करना, शुभकामनाएं भेजना, फोटो खींचकर यादगार पलों को संजोकर रखना भी मोबाइल से संभव हो गया है। आज अपराधियों को पकड़ने में भी मोबाइल महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। महिलाएँ संकट की घड़ी में मोबाइल से अपने परिवार पुलिस से संपर्क कर सकती हैं।

अंत में मैं यही कहना चाहती हूँ कि मोबाइल आज की दुनिया में वरदान से कम नहीं है। यह हर व् की जरूरत बन गया है।

विपक्ष में तर्क (वाद विवाद प्रतियोगिता)

आदरणीय अध्यक्ष महोदय, निर्णायक मंडल, प्रधानाचार्य महोदय, गुरुजन एवं साथियों! आप सबको मेरा जोड़कर वंदन।

अध्यक्ष महोदय! अभी-अभी मेरी विपक्षी छात्रा ने मोबाइल की उपयोगिता पर प्रकाश डाला है लेकिन मैं अपने प्रतिद्वदेवी के विचारों से सहमत नहीं हूँ अगर एक समग्र आंकलन किया जाए तो मुझे नहीं लगता कि मोबाइल आज के परिप्रेक्ष्य में केवल लाभदायक ही है।

वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि मोबाइल अपने पास रखना कई भयंकर बीमारियाँ जैसे दिल की बीमारी पक्षाघात, नपुंसकता, श्रवण शक्ति का ह्रास, मस्तिष्क कोशिकाओं का लुप्त होना आदि को जन्म दे रहा है। मोबाइल संस्कृति पूरे देश में ऐसी फैल गई है कि हर व्यक्ति को हर समय कान में मोबाइल चिपकाए

देखा जा सकता है। कई बार तो देखा गया है परिवार के सदस्य एक साथ घर से तो निकलते हैं लेकिन व्यक्तिगत चर्चा के बजाय मोबाइल में ही चर्चा करते नज़र आते हैं। आज के बच्चे हर समय एस.एम.एस.

भेजने और मोबाइल पर खेल खेलने में इतने व्यस्त हो गए हैं कि उनका पढ़ाई से मन हटता जा रहा है। आप सबको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मोबाइल अपराध, व्यभिचार, गुंडागर्दी, काला बाज़ारी और सट्टेबाजी जैसी गतिविधियों को भी बढ़ावा दे रहा है। आतंकवादी भी इसका जमकर दुरुपयोग कर रहे हैं।

यही नहीं बहुत-से विद्यार्थी मोबाइल का दुरुपयोग करते हैं। वे मोबाइल रखना एक शान समझने लगे हैं। और मोबाइल न मिलने पर वे उसे गलत ढंग से हासिल करने का प्रयास करते हैं।

अंत में मैं यही कहना चाहता हूँ कि मोबाइल का अत्यधिक प्रयोग मानव के लिए हानिकारक है। आने वाले भविष्य में व्यक्ति मोबाइल का गुलाम बनकर रह जाएगा।

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