इस दुनिया में हर व्यक्ति को उसकी मातृभूमि पसंद होती है। मैं भी अपने भारत देश से बहुत प्यार करता हु। भारतवर्ष जहाँ पर हमारा जन्म हुआ है, हमारे लिए स्वर्ग से भी बढ़कर है। इस धरती का अन्न जल ग्रहण करके ही हम बड़े हुए हैं। भारतवर्ष से हमारा लगाव स्वाभाविक है। भारत देश हमारी मातृभूमि है। यह देश प्रकृति के निर्माण की दृष्टि से सृष्टि की सबसे सुंदर रचना है। Mera desh bharat nibandh
नामकरण
हमारे देश का प्राचीन नाम आर्यावर्त था। महाराज दुष्यंत और शकुंतला के प्रतापी पुत्र भरत के नाम पर ही इस देश का नाम भारत पड़ा। हिंदू धर्म के लोगों की अधिक संख्या होने के कारण इसे हिंदुस्तान भी कहा जाता है।
ये एक ऐसा महान देश है, जिसने इस दुनिया को कई धर्म से अवगत कराया है। गौतम बुद्ध का बुद्ध धम्म, भगवन महावीर का जैन धर्म, गुरुनानक जी का सिख धर्म और भारत की सबसे ज्यादा लोकसंख्या वाला हिन्दू धर्म।
भारत को एक समय में “सोने की चिड़िया” कहा जाता था। भारत में प्राचीन काल में विश्व की महान विश्वविद्यालय हुआ करती थी, जैसे तक्षशिला, विक्रमशिला, नालंदा और अन्य।
प्राकृतिक सौंदर्य
भारत का प्राकृतिक सौंदर्य अनुपम है। उत्तर में विशाल हिमालय पर्वत इसका मुकुट है तो दक्षिण में हिंद महासागर इसके चरण पखारता है। गंगा-यमुना इसके गले का हार हैं। एक ओर कश्मीर धरती के स्वर्ग के समान है तो दूसरी ओर केरल की हरियाली मनमोहक है। भारत में आने वाली छह ऋतुएँ इसके सौंदर्य में चार चाँद लगा देती हैं।
ऋषि-मुनियों की जन्मभूमि
हमारा देश भारत कई ऋषि-मुनियों और विद्वानों की जन्मस्थली है। इस पवित्र धरती पर राम, कृष्ण, कबीर, रहीम, विवेकानंद, गांधी जैसे महामानवों ने जन्म लिया। इसी धरती पर आर्यभट्ट, जगदीशचंद्र चंद्रशेखर वेंकटरमन, होमी भाभा जैसे वैज्ञानिकों ने जन्म लेकर इसके मान को आगे बढ़ाया। वेदों, उपनिषदों की रचना इसी देश में हुई।
अनेकता में एकता
भारत विश्व का ऐसा देश है जिसमे लोग मिलजुलकर रहते है। अनेकता में एकता भारतवर्ष की प्रमुख विशेषता है। यहाँ हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, यहूदी सभी धर्मों को मानने वाले लोग मिल-जुलकर रहते हैं। भारत एक धर्म-निरपेक्ष राज्य है। यहाँ सभी धर्मों के लोगों को समान अधिकार प्राप्त है।
उपसंहार: Mera desh bharat nibandh
भारत भूमि धन्य है। त्याग, तपस्या, सहनशीलता, अहिंसा, शांति इस देश के प्रमुख तत्व हैं। यहाँ पर सभी लोग मिल-जुलकर रहते हैं। देश की एकता व अखंडता के लिए अपना सब कुछ अर्पित करने के लिए हर देशवासी तत्पर रहता है। तभी कवि इकबाल ने कहा था-
“सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्ताँ हमारा